ankahee
मेरे मुखर से मौन होने की कहानी जो अब मेरी लेखनी बोलती है.….
Sunday, August 4, 2013
सफाई
जाने क्या क्या निकाल कर फेंक रही हूँ आज मन से
,
कहते हैं इतवार सफाई का दिन होता है...
1 comment:
Himani k
said...
behad sundar
August 7, 2013 at 8:58 PM
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1 comment:
behad sundar
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