Wednesday, August 7, 2013

तुम

ना दिखाई पड़े ना सुनाई दिए
ना ही बातें हुईं ना ही किस्से बने
तुम ही महका किये तुम ही बुझ कर जले
बस पता भर चला तुम आये थे चले गये.….

6 comments:

दिलबागसिंह विर्क said...

आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 08-08-2013 के चर्चा मंच पर है
कृगया पधारें
धन्यवाद

कविता रावत said...

बस पता भर चला तुम आये थे चले गये.….
बहुत खूब!..और किसी को हो न हो पता लेकिन दिल को तो जरुर पता होता है!

कालीपद "प्रसाद" said...

तुम ही महका किये तुम ही बुझ कर जले
बस पता भर चला तुम आये थे चले गये.….
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति !
latest post नेताजी सुनिए !!!
latest post: भ्रष्टाचार और अपराध पोषित भारत!!

Anonymous said...

बहुत खूब!..

Darshan jangra said...

बहुत सुन्दर लेख

Dr ajay yadav said...

उत्तम ....रचना ,४ पंक्तियाँ बहुत सुंदर भाव व्यक्त कर रही हैं |
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