Tuesday, August 13, 2013

आज मैं आज़ाद हुआ हूँ....

आज मैं आज़ाद हुआ हूँ....
सुबह की पहली चाय गुनगुनाने के लिए,
एक अलसाया अखबार ऊंघते हुए पढ़ने के लिए,
एक चिड़िया की चहक में प्रभाती सुनने के लिए,
आज मैं आज़ाद हुआ हूँ....
किसी भी नुक्कड़ पर खड़े होकर,
कहीं भी पान मुंह मे भर कर,
किसी भी ज़रूरी मसअले पर,
अपनी राय पिच्च से थूकने के लिए,
आज मैं आज़ाद हुआ हूँ,
हर लाइन मे घंटो लगे रहकर,
पसीने से तरबतर हो कर,
संविधान को जमकर कोसने के लिए,
और साथ के किसी अंजान मानुस संग,
गरीबी, घूसखोरी उन्मूलन जैसी,
बड़ी बड़ी बातें करने के लिए,
फिर उसी दफ्तर के किसी बाबू की जेब मे,
दाँत निपोर कर 500 का एक नोट सरकाने के लिये,
आज मैं आज़ाद हुआ हूँ....
जो मेरे संगी साथी हैं,
उनके जात-मजहब से मुझे क्या लेना,
मगर किसी फिदाईनी नेता के,
एक भड़काऊ से भाषण पर,
हिन्दू, मुसलमान बन जाने के लिए,
जो कल तक साथ खाते थे,
उन्ही का खून पीने के लिए,
चापड़, त्रिशूल उठाने के लिए,
अलग रंगों मे रंग जाने के लिए,
आज मैं आज़ाद हुआ हूँ....
जो मेरी आज़ादी है, वो मेरी बदमिजाजी है,
मेरी मौकापरस्ती है, मेरी गद्दारी है,
पर आज़ादी का एक यही किस्म तो मैं जानता हूँ,
इसी एक किस्म के सहारे,
मैं जीता था, मैं जीता हूँ,
मैं राष्ट्रगीत गाता हूँ, तिरंगा फहराता हूँ,
फिर उसी तिरंगे मे लपेट कर खुद को,
अगले बरस तक भूल जाने के लिए,
बस एक दिन जश्न मनाने, नारे लगाने के लिए,
आज मैं आज़ाद हुआ हूँ......



1 comment:

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' said...

बहुत बढ़िया.. स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें...